भूषणानि—तरह-तरह के गहने; विचित्राणि—सुन्दर ढंग से सजाये हुए; विश्वकर्मा प्रजापति:—ब्रह्माजी के पुत्रों प्रजापतियों में से एक जिसका नाम विश्वकर्मा था; हारम्—हार; सरस्वती—विद्या की देवी ने; पद्मम्—कमल का फूल; अज:—ब्रह्मा ने; नागा: च—तथा नागलोक के वासियों ने; कुण्डले—कान के दो कुण्डल ।.
अनुवाद
प्रजापति विश्वकर्मा ने तरह-तरह के अलंकृत आभूषण दिये। विद्या की देवी सरस्वती ने गले का हार, ब्रह्माजी ने कमल का फूल तथा नागलोक के वासियों ने कान के कुण्डल प्रदान किये।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥