हे परीक्षित, जब दस शिरों वाले रावण ने सीता के सुन्दर एवं आकर्षक स्वरूप के विषय में सुना तो उसका मन कामवासनाओं से उत्तेजित हो उठा और वह उनको हरने गया। रावण ने भगवान् रामचन्द्र को उनके आश्रम से दूर ले जाने के लिए सोने के मृग का रूप धारण किये मारीच को भेजा और जब भगवान् ने उस अद्भुत मृग को देखा तो उन्होंने अपना आश्रम छोडक़र उसका पीछा करना शुरू कर दिया। अन्त में उसे तीक्ष्ण बाण से उसी तरह मार डाला जिस तरह शिवजी ने दक्ष को मारा था।
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