समुद्र तट पर पहुँच कर भगवान् रामचन्द्र ने तीन दिन तक उपवास किया और वे साक्षात् समुद्र के आने की प्रतीक्षा करते रहे। जब समुद्र नहीं आया तो भगवान् ने अपनी क्रोध लीला प्रकट की और समुद्र पर दृष्टिपात करते ही समुद्र के सारे प्राणी, जिनमें घडिय़ाल तथा मगर सम्मिलित थे, भय के मारे उद्विग्न हो उठे। तब शरीर धारण करके डरता हुआ समुद्र पूजा की सारी सामग्री लेकर भगवान् के पास पहुँचा। उसने भगवान् के चरणकमलों पर गिरते हुए इस प्रकार कहा।
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