जब राक्षसपति रावण ने वानर सैनिकों द्वारा किये जा रहे उपद्रवों को देखा तो उसने निकुम्भ, कुम्भ, धूभ्राक्ष, दुर्मुख, सुरान्तक, नरान्तक तथा अन्य राक्षसों एवं अपने पुत्र इन्द्रजित को भी बुलवाया। तत्पश्चात् उसने प्रहस्त, अतिकाय, विकम्पन को और अन्त में कुम्भकर्ण को बुलवाया। इसके बाद उसने अपने सारे अनुयायियों को शत्रुओं से लडऩे के लिए प्रोत्साहित किया।
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