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श्लोक |
शुचिस्तुतनयस्तस्मात् सनद्वाज: सुतोऽभवत् ।
ऊर्जकेतु: सनद्वाजादजोऽथ पुरुजित्सुत: ॥ २२ ॥ |
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शब्दार्थ |
शुचि:—शुचि; तु—लेकिन; तनय:—पुत्र; तस्मात्—उससे; सनद्वाज:—सनद्वाज; सुत:—पुत्र; अभवत्—पैदा हुआ; ऊर्जकेतु:— ऊर्जकेतु; सनद्वाजात्—सनद्वाज से; अज:—अज; अथ—तत्पश्चात्; पुरुजित्—पुरुजित; सुत:—पुत्र ।. |
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अनुवाद |
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शतद्युम्न के पुत्र का नाम शुचि था। शुचि से सनद्वाज उत्पन्न हुआ और सनद्वाज का पुत्र ऊर्जकेतु था। ऊर्जकेतु का पुत्र अज था और अज का पुत्र पुरुजित हुआ। |
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