श्री-शुक: उवाच—श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा; अथ—अब (सूर्यवंश का इतिहास सुनने के बाद); अत:—अतएव; श्रूयताम्— मुझसे सुनो; राजन्—हे राजा परीक्षित; वंश:—वंश; सोमस्य—सोमदेव का; पावन:—पवित्र करने वाला; यस्मिन्—जिस (वंश) में; ऐल-आदय:—ऐल (पुरुरवा) इत्यादि; भूपा:—अनेक राजा; कीर्त्यन्ते—वर्णित किये जाते हैं; पुण्य-कीर्तय:—ऐसे व्यक्ति जिनके विषय में सुनना कीर्तिप्रद है ।.
अनुवाद
श्रील शुकदेव गोस्वामी ने महाराज परीक्षित से कहा : हे राजन्, अभी तक आपने सूर्यवंश का विवरण सुना है। अब सोमवंश का अत्यन्त कीर्तिप्रद एवं पावन वर्णन सुनिए। इसमें ऐल (पुरुरवा) जैसे राजाओं का उल्लेख है जिनके विषय में सुनना कीर्तिप्रद होता है।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥