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श्लोक |
स एव शत्रुजिद् वत्स ऋतध्वज इतीरित: ।
तथा कुवलयाश्वेति प्रोक्तोऽलर्कादयस्तत: ॥ ६ ॥ |
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शब्दार्थ |
स:—वह, द्युमान; एव—निस्सन्देह; शत्रुजित्—शत्रुजित; वत्स:—वत्स; ऋतध्वज:—ऋतध्वज; इति—इस तरह; ईरित:—विख्यात; तथा—और; कुवलयाश्व—कुवलयाश्व; इति—इस प्रकार; प्रोक्त:—विख्यात; अलर्क-आदय:—अलर्क तथा अन्य पुत्र; तत:— उससे ।. |
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अनुवाद |
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द्युमान शत्रुजित, वत्स, ऋतध्वज तथा कुवलयाश्व नामों से भी विख्यात था। उससे अलर्क तथा अन्य पुत्र उत्पन्न हुए। |
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