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श्लोक  |
वीतिहोत्रस्त्विन्द्रसेनात् तस्य सत्यश्रवा अभूत् ।
उरुश्रवा: सुतस्तस्य देवदत्तस्ततोऽभवत् ॥ २० ॥ |
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शब्दार्थ |
वीतिहोत्र:—वीतिहोत्र; तु—लेकिन; इन्द्रसेनात्—इन्द्रसेन से; तस्य—वीतिहोत्र का; सत्यश्रवा:—सत्यश्रवा; अभूत्—हुआ; उरुश्रवा:—उरुश्रवा; सुत:—पुत्र; तस्य—उसका (सत्यश्रवा का); देवदत्त:—देवदत्त; तत:—उरुश्रवा से; अभवत्—हुआ ।. |
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अनुवाद |
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इन्द्रसेन से वीतिहोत्र, वीतिहोत्र से सत्यश्रवा, फिर उससे उरुश्रवा और उरुश्रवा से देवदत्त हुआ। |
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