|
|
|
श्लोक 9.2.25  |
विविंशते: सुतो रम्भ: खनीनेत्रोऽस्य धार्मिक: ।
करन्धमो महाराज तस्यासीदात्मजो नृप ॥ २५ ॥ |
|
शब्दार्थ |
विविंशते:—विविंशति से; सुत:—पुत्र; रम्भ:—रम्भ; खनीनेत्र:—खनीनेत्र; अस्य—रम्भ का; धार्मिक:—अत्यन्त धार्मिक; करन्धम:—करन्धम; महाराज—हे राजा; तस्य—उसके (खनीनेत्र से); आसीत्—था; आत्मज:—पुत्र; नृप—हे राजा ।. |
|
अनुवाद |
|
विविंशति के पुत्र का नाम रम्भ था जिसका पुत्र अत्यन्त महान् एवं धार्मिक राजा खनीनेत्र हुआ। हे राजा, खनीनेत्र का पुत्र राजा करन्धम हुआ। |
|
|
|
शेयर करें
 |