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श्लोक 9.2.29  |
मरुत्तस्य दम: पुत्रस्तस्यासीद् राज्यवर्धन: ।
सुधृतिस्तत्सुतो जज्ञे सौधृतेयो नर: सुत: ॥ २९ ॥ |
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शब्दार्थ |
मरुत्तस्य—मरुत्त का; दम:—दम; पुत्र:—पुत्र; तस्य—दम का; आसीत्—था; राज्य-वर्धन:—राज्यवर्धन अर्थात् राज्य को बढ़ाने वाला; सुधृति:—सुधृति; तत्-सुत:—उसका पुत्र; जज्ञे—उत्पन्न हुआ; सौधृतेय:—सुधृति से; नर:—नर नामक; सुत:—पुत्र ।. |
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अनुवाद |
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मरुत्त का पुत्र दम हुआ, दम का पुत्र राज्यवर्धन था और उसका पुत्र सुधृति और सुधृति का पुत्र नर था। |
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