तं भेजेऽलम्बुषा देवी भजनीयगुणालयम् ।
वराप्सरा यत: पुत्रा: कन्या चेलविलाभवत् ॥ ३१ ॥
शब्दार्थ
तम्—उसको (तृणबिन्दु को); भेजे—पति रूप में स्वीकार किया; अलम्बुषा—अलम्बुषा; देवी—देवी; भजनीय—स्वीकार करने योग्य; गुण-आलयम्—सद्गुणों का आगार; वर-अप्सरा:—अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ; यत:—जिससे (तृणबिन्दु से); पुत्रा:—कुछ पुत्र; कन्या—एक पुत्री; च—तथा; इलविला—इलविला नामक; अभवत्—उत्पन्न हुई ।.
अनुवाद
अप्सराओं में सर्वश्रेष्ठ अत्यन्त गुणी कन्या अलम्बुषा ने अपने ही समान योग्य तृणबिन्दु को पति रूप में स्वीकार किया। उसके कुछ पुत्र तथा इलविला नाम की एक कन्या उत्पन्न हुई।
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