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श्लोक 9.2.32  |
यस्यामुत्पादयामास विश्रवा धनदं सुतम् ।
प्रादाय विद्यां परमामृषिर्योगेश्वर: पितु: ॥ ३२ ॥ |
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शब्दार्थ |
यस्याम्—जिसमें (इलविला) में; उत्पादयाम् आस—जन्म दिया; विश्रवा:—विश्रवा; धन-दम्—कुवेर अर्थात् धन देने वाला; सुतम्—पुत्र को; प्रादाय—प्राप्त करके; विद्याम्—विद्या को; परमाम्—परम; ऋषि:—महान् संत पुरुष; योग-ईश्वर:—योग के स्वामी; पितु:—अपने पिता से ।. |
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अनुवाद |
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महान् सन्त योगेश्वर विश्रवा ने अपने पिता से परम विद्या प्राप्त करके इलविला के गर्भ से परम विख्यात पुत्र धन देने वाले कुवेर को उत्पन्न किया। |
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