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श्लोक 9.2.34  |
हेमचन्द्र: सुतस्तस्य धूम्राक्षस्तस्य चात्मज: ।
तत्पुत्रात् संयमादासीत् कृशाश्व: सहदेवज: ॥ ३४ ॥ |
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शब्दार्थ |
हेमचन्द्र:—हेमचन्द्र नामक; सुत:—पुत्र; तस्य—उसका (विशाल का); धूम्राक्ष:—धूम्राक्ष; तस्य—उसका (हेमचन्द्र का); च—भी; आत्मज:—पुत्र; तत्-पुत्रात्—उसके पुत्र (धूम्राक्ष) से; संयमात्—संयम से; आसीत्—था; कृशाश्व:—कृशाश्व; सह—सहित; देवज:—देवज ।. |
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अनुवाद |
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विशाल का पुत्र हेमचन्द्र कहलाया और उसका पुत्र धूम्राक्ष हुआ जिसका पुत्र संयम था और उसके पुत्रों के नाम देवज तथा कृशाश्व थे। |
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