अपने शत्रु का दमन करने में समर्थ पृषध्र ने प्रात:काल जब देखा कि उसने गाय का वध कर दिया है, यद्यपि रात में उसने सोचा था कि उसने बाघ को मारा है, तो वह अत्यन्त दुखी हुआ।
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