यद्यपि पृषध्र ने अनजाने में यह पाप किया था, किन्तु उसके कुलपुरोहित वसिष्ठ ने उसे यह शाप दिया, “तुम अपने अगले जन्म में क्षत्रिय नहीं बन सकोगे, प्रत्युत गोवध करने के कारण तुम्हें शूद्र बनकर जन्म लेना पड़ेगा।”
तात्पर्य
ऐसा लगता है कि वसिष्ठ तमोगुण से मुक्त नहीं हो पाये थे। पृषध्र के कुलपुरोहित या गुरु होने के नाते उन्हें पृषध्र के अपराध को गम्भीरता से नहीं लेना चाहिए था, किन्तु उल्टे उन्होंने उसे शूद्र बनने का शाप दे दिया। कुलपुरोहित का धर्म शिष्य को शाप देना नहीं अपितु कोई प्रायश्चित्त करवा कर राहत देना होता है। किन्तु वसिष्ठ ने इसके विपरीत किया। अतएव श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर कहते हैं कि वह दुर्मति था अर्थात् उसकी बुद्धि ठीक नहीं थी।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.