|
श्लोक |
तस्य पुत्रसहस्रेषु पञ्चैवोर्वरिता मृधे ।
जयध्वज: शूरसेनो वृषभो मधुरूर्जित: ॥ २७ ॥ |
|
शब्दार्थ |
तस्य—उसके (कार्तवीर्यार्जुन के); पुत्र-सहस्रेषु—एक हजार पुत्रों में; पञ्च—पाँच; एव—केवल; उर्वरिता:—जीवित रहे; मृधे— (परशुराम के साथ हुए) युद्ध में; जयध्वज:—जयध्वज; शूरसेन:—शूरसेन; वृषभ:—वृषभ; मधु:—मधु; ऊर्जित:—तथा ऊर्जित ।. |
|
अनुवाद |
|
कार्तवीर्यार्जुन के एक हजार पुत्रों में से परशुराम से युद्ध करने के बाद केवल पाँच पुत्र जीवित बचे। उनके नाम थे जयध्वज, शूरसेन, वृषभ, मधु तथा ऊर्जित। |
|
|
____________________________ |