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श्लोक 34
श्लोक
9.23.34
तत्सुतो रुचकस्तस्य पञ्चासन्नात्मजा: शृणु ।
पूरुजिद्रुक्मरुक्मेषुपृथुज्यामघसंज्ञिता: ॥ ३४ ॥
शब्दार्थ
तत्-सुत:
—उशना का पुत्र;
रुचक:
—रुचक;
तस्य
—उसके;
पञ्च
—पाँच;
आसन्
—थे;
आत्मजा:
—पुत्र;
शृणु
—सुनो (उनके नाम);
पुरुजित्
—पुरुजित;
रुक्म
—रुक्म;
रुक्मेषु
—रुक्मेषु;
पृथु
—पृथु;
ज्यामघ
—ज्यामघ;
संज्ञिता:
—नाम वाले ।.
अनुवाद
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उशना का पुत्र रुचक था जिसके पाँच पुत्र थे—पुरुजित, रुक्म, रुक्मेषु, पृथु तथा ज्यामघ। कृपया मुझसे इनके विषय में सुनें।
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