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श्लोक |
अङ्गवङ्गकलिङ्गाद्या: सुह्मपुण्ड्रौड्रसंज्ञिता: ।
जज्ञिरे दीर्घतमसो बले: क्षेत्रे महीक्षित: ॥ ५ ॥ |
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शब्दार्थ |
अङ्ग—अंग; वङ्ग—वंग; कलिङ्ग—कलिंग; आद्या:—इत्यादि; सुह्म—सुह्म; पुण्ड्र—पुण्ड्र; ओड्र—ओड्र; संज्ञिता:—नाम से विख्यात; जज्ञिरे—उत्पन्न हुए; दीर्घतमस:—दीर्घतमा के वीर्य से; बले:—बलि की; क्षेत्रे—पत्नी से; मही-क्षित:—जगत के राजा ।. |
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अनुवाद |
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चक्रवर्ती राजा बलि की पत्नी से दीर्घतमा के वीर्य से छह पुत्रों ने जन्म लिया जिनके नाम थे अंग, वंग, कलिंग, सुह्म, पुण्ड्र तथा ओड्र। |
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