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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 23: ययाति के पुत्रों की वंशावली  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  9.23.6 
चक्रु: स्वनाम्ना विषयान् षडिमान् प्राच्यकांश्च ते ।
खलपानोऽङ्गतो जज्ञे तस्माद् दिविरथस्तत: ॥ ६ ॥
 
शब्दार्थ
चक्रु:—उत्पन्न किया; स्व-नाम्ना—अपने-अपने नामों से; विषयान्—विभिन्न राज्य; षट्—छ:; इमान्—ये सभी; प्राच्यकान् च— भारत की पूर्व दिशा में; ते—वे (छह राजा); खलपान:—खलपान; अङ्गत:—राजा अंग से; जज्ञे—जन्म लिया; तस्मात्—उससे; दिविरथ:—दिविरथ; तत:—तत्पश्चात् ।.
 
अनुवाद
 
 बाद में अंगादि ये छहों पुत्र भारत की पूर्व दिशा में छ: राज्यों के राजा बने। ये राज्य अपने-अपने राजा के नाम के अनुसार विख्यात हुए। अंग से खलपान नामक पुत्र हुआ जिससे दिविरथ उत्पन्न हुआ।
 
 
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