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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 24: भगवान् श्रीकृष्ण  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  9.24.12 
वृष्णे: सुमित्र: पुत्रोऽभूद् युधाजिच्च परन्तप ।
शिनिस्तस्यानमित्रश्च निघ्नोऽभूदनमित्रत: ॥ १२ ॥
 
शब्दार्थ
वृष्णे:—सात्वत पुत्र वृष्णि का; सुमित्र:—सुमित्र; पुत्र:—पुत्र; अभूत्—हुआ; युधाजित्—युधाजित; —भी; परम्-तप—हे शत्रुओं का दमन करने वाले राजा; शिनि:—शिनि; तस्य—उसका; अनमित्र:—अनमित्र; —तथा; निघ्न:—निघ्न; अभूत्—प्रकट हुआ; अनमित्रत:—अनमित्र से ।.
 
अनुवाद
 
 हे शत्रुओं के दमन करने वाले राजा परीक्षित, वृष्णि के पुत्र सुमित्र तथा युधाजित थे। युधाजित से शिनि तथा अनमित्र उत्पन्न हुए। अनमित्र के एक पुत्र था जिसका नाम निघ्न था।
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥