कवच से भलीभाँति सुरक्षित होकर और युद्ध करने की इच्छा से पुरञ्जय ने अपना दिव्य धनुष तथा अत्यन्त तीक्ष्ण बाण धारण किया और देवताओं द्वारा अत्यधिक प्रशंसित होकर वह बैल (इन्द्र) की पीठ पर सवार हुआ तथा उसके डिल्ले पर बैठ गया। इसलिए वह ककुत्स्थ कहलाता है। परमात्मा तथा परम पुरुष भगवान् विष्णु से शक्ति प्राप्त करके पुरञ्जय उस बड़े बैल पर सवार हो गया, इसलिए वह इन्द्रवाह कहलाता है। देवताओं को साथ लेकर उसने पश्चिम में असुरों के निवासस्थानों पर आक्रमण कर दिया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.