रथीतर नि:सन्तान था अतएव उसने अंगिरा ऋषि से पुत्र उत्पन्न करने के लिए प्रार्थना की। इस प्रार्थना के फलस्वरूप अंगिरा ने रथीतर की पत्नी के गर्भ से पुत्र उत्पन्न कराये। ये सारे पुत्र ब्राह्मण तेज से सम्पन्न थे।
तात्पर्य
वैदिक युग में कभी-कभी निम्न कुल वाले पुरुष की पत्नी से अच्छी सन्तान उत्पन्न करने के लिए किसी उच्च पुरुष को बुलाया जाता था। ऐसी स्थिति में स्त्री की तुलना खेत से की जाती है। खेत वाला व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को अन्न उपजाने का काम सौंप सकता है, किन्तु उस खेत से जो अन्न उपजता है वह खेत के स्वामी का होता है। इसी प्रकार स्त्री को कभी-कभी अपने पति के अतिरिक्त किसी अन्य पुरुष से गर्भ धारण करना होता था, किन्तु इस तरह से उत्पन्न पुत्र उसके पति के पुत्र कहलाते थे। ये पुत्र क्षेत्र जात कहलाते थे। चूँकि रथीतर के कोई पुत्र न था अतएव उसने इस विधि का लाभ उठाया।
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