एते—अंगिरा द्वारा उत्पन्न पुत्र; क्षेत्र-प्रसूता:—रथीतर की सन्तान बने और उसके कुल के कहलाये (क्योंकि वे उसकी पत्नी के गर्भ से हुए थे); वै—निस्सन्देह; पुन:—फिर; तु—लेकिन; आङ्गिरसा:—अंगिरा के वंश के; स्मृता:—कहलाये; रथीतराणाम्—रथीतर के सारे पुत्रों का; प्रवरा:—प्रमुख; क्षेत्र-उपेता:—क्षेत्र से उत्पन्न होने के कारण; द्वि-जातय:—ब्राह्मण कहलाये (ब्राह्मण तथा क्षत्रिय का मिश्रण होकर) ।.
अनुवाद
रथीतर की पत्नी से जन्म लेने के कारण ये सारे पुत्र रथीतर के वंशज कहलाये, किन्तु अंगिरा के वीर्य से उत्पन्न होने के कारण वे अंगिरा के वंशज भी कहलाये। रथीतर की सन्तानों में से ये पुत्र सबसे अधिक प्रसिद्ध थे क्योंकि अपने जन्म के कारण ये ब्राह्मण समझे जाते थे।
तात्पर्य
श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर ने द्वि-जातय: शब्द का अर्थ “मिश्रजाति” दिया है जो ब्राह्मण तथा क्षत्रिय के मिश्रण का सूचक है।
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