हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 9: मुक्ति  »  अध्याय 6: सौभरि मुनि का पतन  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  9.6.38 
शशबिन्दोर्दुहितरि बिन्दुमत्यामधान्नृप: ।
पुरुकुत्समम्बरीषं मुचुकुन्दं च योगिनम् ।
तेषां स्वसार: पञ्चाशत् सौभरिं वव्रिरे पतिम् ॥ ३८ ॥
 
शब्दार्थ
शशबिन्दो:—शशबिन्दु राजा की; दुहितरि—पुत्री; बिन्दुमत्याम्—बिन्दुमती से; अधात्—उत्पन्न किया; नृप:—राजा (मान्धाता) ने; पुरुकुत्सम्—पुरुकुत्स को; अम्बरीषम्—अम्बरीष को; मुचुकुन्दम्—मुचुकुन्द को; —तथा; योगिनम्—योगी; तेषाम्—उनमें से; स्वसार:—बहनों ने; पञ्चाशत्—पचास; सौभरिम्—सौभरि ऋषि को; वव्रिरे—स्वीकार किया; पतिम्—पति रूप में ।.
 
अनुवाद
 
 शशबिन्दु की पुत्री बिन्दुमती के गर्भ से मान्धाता को तीन पुत्र उत्पन्न हुए। इनके नाम थे पुरुकुत्स, अम्बरीष तथा महान् योगी मुचुकुन्द। इन तीनों भाइयों के पचास बहिनें थीं जिन्होंने सौभरि ऋषि को अपना पति चुना।
 
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥