सौभरि ऋषि यमुना नदी के गहरे जल में तपस्या में तल्लीन थे कि उन्होंने मछलियों के एक जोड़े को संभोगरत देखा। इस तरह उन्होंने विषयी जीवन का सुख अनुभव किया जिससे प्रेरित होकर वे राजा मान्धाता के पास गये और उनसे उनकी एक कन्या की याचना की। इस याचना के उत्तर में राजा ने कहा, “हे ब्राह्मण, मेरी कोई भी पुत्री अपनी इच्छा से किसी को भी पति चुन सकती है।”
तात्पर्य
यहाँ सौभरि ऋषि की कहानी का शुभारम्भ होता है। विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर के अनुसार मान्धाता मथुरा का राजा था और सौभरि ऋषि यमुना नदी के गहरे जल में तपस्या कर रहे थे। जब ऋषि में कामेच्छा जगी तो वे जल से बाहर निकले और राजा मान्धाता के पास जाकर उन्होंने कहा कि वे अपनी एक पुत्री का विवाह उनसे कर दें।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.