सौभरि मुनि ने सोचा: मैं वृद्धावस्था के कारण अब निर्बल हो गया हूँ। मेरे बाल सफेद हो चुके हैं, मेरी चमड़ी झूल रही है और मेरा सिर सदा हिलता रहता है। इसके अतिरिक्त मैं योगी हूँ। अतएव ये स्त्रियाँ मुझे पसन्द नहीं करतीं। चूँकि राजा ने मुझे तिरस्कृत कर दिया है अतएव मैं अपने शरीर को ऐसा बनाऊँगा कि मैं संसारी राजाओं की कन्याओं का ही नहीं अपितु सुर-सुन्दरियों के लिए भी अभीष्ट बन जाऊँ।
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