तेषाम्—इन पुत्रों में से; पुरस्तात्—पूर्व दिशा में; अभवन्—वे बने; आर्यावर्ते—आर्यावर्त में, जो हिमालय तथा विन्ध्याचल पर्वतों के बीच का स्थान था; नृपा:—राजा; नृप—हे राजा (परीक्षित); पञ्च-विंशति:—पच्चीस; पश्चात्—पश्चिम दिशा में; च—भी; त्रय:— उनमें से तीन; मध्ये—मध्य में (पूर्व और पश्चिम के बीच); अपरे—अन्य; अन्यत:—अन्य स्थानों में ।.
अनुवाद
सौ पुत्रों में से पच्चीस पुत्र हिमालय तथा विन्ध्याचल पर्वतों के मध्यवर्ती स्थान आर्यावर्त के पश्चिमी भाग के राजा बने, पच्चीस पुत्र पूर्वी आर्यावर्त के राजा बने और तीन प्रमुख पुत्र मध्यवर्ती प्रदेश के राजा बने। शेष पुत्र अन्य विविध स्थानों के राजा बने।
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All glories to saints and sages of the Supreme Lord
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥