तथा जो दान किसी अपवित्र स्थान में, अनुचित समय में, किसी अयोग्य व्यक्ति को या बिना समुचित ध्यान तथा आदर से दिया जाता है, वह तामसी कहलाता है।
तात्पर्य
यहाँ पर मद्यपान तथा द्यूतक्रीड़ा में व्यसनी के लिए दान देने को प्रोत्साहन नहीं दिया गया। ऐसा दान तामसी है। ऐसा दान लाभदायक नहीं होता, वरन् इससे पापी पुरुषों को प्रोत्साहन मिलता है। इसी प्रकार, यदि बिना सम्मान तथा ध्यान दिये किसी उपयुक्त व्यक्ति को दान दिया जाय, तो वह भी तामसी है।
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