मैं बलवानों का कामनाओं तथा इच्छा से रहित बल हूँ। हे भरतश्रेष्ठ (अर्जुन) ! मैं वह काम हूँ, जो धर्म के विरुद्ध नहीं है।
तात्पर्य
बलवान पुरुष की शक्ति का उपयोग दुर्बलों की रक्षा के लिए होना चाहिए, व्यक्तिगत आक्रमण के लिए नहीं। इसी प्रकार धर्म-सम्मत मैथुन सन्तानोत्पति के लिए होना चाहिए, अन्य कार्यों के लिए नहीं। अत: माता पिता का उत्तरदायित्व है कि वे अपनी सन्तान को कृष्णभावनाभावित बनाएँ।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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