आप सूर्य के समान तीनों लोकों में विचरण कर सकते हैं और वायु के समान प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर प्रवेश कर सकते हैं। इसलिए आप सर्वव्यापी परमात्मा के तुल्य हैं। अत: आपसे प्रार्थना है कि नियमों तथा व्रतों का पालन करते हुए दिव्यता में लीन रहने पर भी मुझमें जो कमी हो, उसे खोज निकालें।
तात्पर्य
दिव्य अनुभूति, पुण्यकर्म, देव-पूजा, दान, दया, अहिंसा तथा कड़े अनुशासनिक नियमों के साथ शास्त्रों का अध्ययन—ये सदैव मनुष्य के सहायक बनते हैं।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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