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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 10: परम पुरुषार्थ  »  अध्याय 18: भगवान् बलराम द्वारा प्रलम्बासुर का वध  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  10.18.13 
क्‍वचिन्नृत्यत्सु चान्येषु गायकौ वादकौ स्वयम् ।
शशंसतुर्महाराज साधु साध्विति वादिनौ ॥ १३ ॥
 
शब्दार्थ
क्वचित्—कभी; नृत्यत्सु—नृत्य करते समय; —तथा; अन्येषु—अन्यों के; गायकौ—दोनों (कृष्ण तथा बलराम) गाते हुए; वादकौ—दोनों बाजा बजाते हुए; स्वयम्—स्वयं; शशंसतु:—प्रशंसा करते; महा-राज—हे महान् राजा; साधु साधु इति—बहुत अच्छा, बहुत अच्छा; वादिनौ—कहते हुए ।.
 
अनुवाद
 
 हे राजन्, जब अन्य बालक नाचते होते तो कृष्ण तथा बलराम कभी कभी गीत तथा वाद्य संगीत से उनका साथ देते और कभी कभी वे दोनों ‘बहुत अच्छा‘’, ‘बहुत अच्छा’ कहकर लडक़ों की प्रशंसा करते थे।
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥