भगवान् को अपने सामने खड़ा देखकर केशी अत्यन्त क्रुद्ध होकर अपना मुह बाये उनकी ओर दौड़ा मानो वह आकाश को निगल जायेगा। प्रचण्ड वेग से दौड़ते हुए उस अजेय तथा दुर्धर्ष घोड़ा-असुर ने अपने अगले दो पाँवों से कमलनयन भगवान् पर प्रहार करने का प्रयत्न किया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.