वह असुर अपने मूल रूप में परिणत होकर विशाल पर्वत के समान बड़ा तथा बली बन गया। किन्तु वह कठोर प्रयास के बावजूद अपने को छुड़ा न पाया क्योंकि भगवान् की मजबूत पकड़ में होने से वह अपनी शक्ति खो चुका था।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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