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भागवत पुराण  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  » 
 
 
 
 
अध्याय 1:  यदुवंश को शाप
 
अध्याय 2:  नौ योगेन्द्रों से महाराज निमि की भेंट
 
अध्याय 3:  माया से मुक्ति
 
अध्याय 4:  राजा निमि से द्रुमिल द्वारा ईश्वर के अवतारों का वर्णन
 
अध्याय 5:  नारद द्वारा वसुदेव को दी गई शिक्षाओं का समापन
 
अध्याय 6:  यदुवंश का प्रभास गमन
 
अध्याय 7:  भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश
 
अध्याय 8:  पिंगला की कथा
 
अध्याय 9:  पूर्ण वैराग्य
 
अध्याय 10:  सकाम कर्म की प्रकृति
 
अध्याय 11:  बद्ध तथा मुक्त जीवों के लक्षण
 
अध्याय 12:  वैराग्य तथा ज्ञान से आगे
 
अध्याय 13:  हंसावतार द्वारा ब्रह्मा-पुत्रों के प्रश्नों के उत्तर
 
अध्याय 14:  भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव से योग-वर्णन
 
अध्याय 15:  भगवान् कृष्ण द्वारा योग-सिद्धियों का वर्णन
 
अध्याय 16:  भगवान् की विभूतियाँ
 
अध्याय 17:  भगवान् कृष्ण द्वारा वर्णाश्रम प्रणाली का वर्णन
 
अध्याय 18:  वर्णाश्रम धर्म का वर्णन
 
अध्याय 19:  आध्यात्मिक ज्ञान की सिद्धि
 
अध्याय 20:  शुद्ध भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य से आगे निकल जाती है
 
अध्याय 21:  भगवान् कृष्ण द्वारा वैदिक पथ की व्याख्या
 
अध्याय 22:  भौतिक सृष्टि के तत्त्वों की गणना
 
अध्याय 23:  अवन्ती ब्राह्मण का गीत
 
अध्याय 24:  सांख्य दर्शन
 
अध्याय 25:  प्रकृति के तीन गुण तथा उनसे परे
 
अध्याय 26:  ऐल-गीत
 
अध्याय 27:  देवपूजा विषयक श्रीकृष्ण के आदेश
 
अध्याय 28:  ज्ञान-योग
 
अध्याय 29:  भक्ति-योग
 
अध्याय 30:  यदुवंश का संहार
 
अध्याय 31:  भगवान् श्रीकृष्ण का अंतर्धान होना
 
 
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>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥