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श्लोक 11.25.13  |
यदेतरौ जयेत् सत्त्वं भास्वरं विशदं शिवम् ।
तदा सुखेन युज्येत धर्मज्ञानादिभि: पुमान् ॥ १३ ॥ |
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शब्दार्थ |
यदा—जब; इतरौ—अन्य दो; जयेत्—जीत लेता है; सत्त्वम्—सतोगुण; भास्वरम्—प्रकाशमान; विशदम्—शुद्ध; शिवम्— शुभ; तदा—तब; सुखेन—सुख से; युज्येत—से युक्त होता है; धर्म—धर्म; ज्ञान—ज्ञान; आदिभि:—आदि अन्य गुणों से; पुमान्—मनुष्य ।. |
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अनुवाद |
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जब प्रदीप्त शुद्ध तथा शुभ सतोगुण रजोगुण तथा तमोगुण पर हावी होता है, तो मनुष्य सुख, प्रतिभा, ज्ञान तथा अन्य गुणों से युक्त हो जाता है। |
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तात्पर्य |
सतोगुण में मनुष्य अपने मन तथा इन्द्रियों को वश में कर सकता है। |
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