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श्लोक 36
श्लोक
12.11.36
वसिष्ठो वरुणो रम्भा सहजन्यस्तथा हुहू: ।
शुक्रश्चित्रस्वनश्चैव शुचिमासं नयन्त्यमी ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
वसिष्ठ: वरुण
: रम्भा—वशिष्ठ, वरुण तथा रम्भा;
सहजन्य:
—सहजन्य;
तथा
—भी;
हुहू:
—हूहू;
शुक्र: चित्रस्वन
:—शुक्र तथा चित्रस्वन;
च एव
—भी;
शुचि-मासम्
—शुचि (आषाढ़) मास;
नयन्ति
—शासन चलाते हैं;
अमी
—ये ।.
अनुवाद
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शुचि मास पर, वसिष्ठ ऋषि, वरुण सूर्य देव, रम्भा अप्सरा, सहजन्य राक्षस, हूहू गन्धर्व, शुक्र नाग तथा चित्रस्वन यक्ष रूप में, शासन करते हैं।
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