हिंदी में पढ़े और सुनें
भागवत पुराण  »  स्कन्ध 12: पतनोन्मुख युग  »  अध्याय 3: भूमि गीत  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  12.3.16 
श्रीराजोवाच
केनोपायेन भगवन् कलेर्दोषान् कलौ जना: ।
विधमिष्यन्त्युपचितांस्तन्मे ब्रूहि यथा मुने ॥ १६ ॥
 
शब्दार्थ
श्री-राजा उवाच—राजा परीक्षित ने कहा; केन—किस; उपायेन—उपाय से; भगवन्—हे प्रभु; कले:—कलियुग के; दोषान्—बुराइयों को; कलौ—कलियुग में रहते हुए; जना:—लोग; विधमिष्यन्ति—समूल नष्ट करेंगे; उपचितान्—संचित; तत्—वह; मे—मुझसे; ब्रूहि—कहिए; यथा—उपयुक्त रीति से; मुने—हे मुनि ।.
 
अनुवाद
 
 राजा परीक्षित ने कहा : हे स्वामी, कलियुग में रहने वाले लोग किस तरह इस युग के संचित कल्मष से अपने को छुटा सकते हैं? हे महामुनि, यह मुझे बतलायें।
 
तात्पर्य
 राजा परीक्षित दयालु साधु शासक थे। अत: कलियुग के गर्हित गुणों के विषय में सुनने के बाद स्वभावत: उन्होंने पूछा कि इस युग में उत्पन्न लोग किस तरह इसमें निहित कल्मष से अपने को मुक्त करा सकते हैं?
 
शेयर करें
       
 
  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
  Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.
   
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥