किन्तु भगवान् ने एक ओर सरक कर शत्रु द्वारा अपने वक्षस्थल पर चलाई गई गदा के प्रखर प्रहार को उसी प्रकार झुठला दिया जिस प्रकार सिद्ध योगी मृत्यु को चकमा दे देता है।
तात्पर्य
यहाँ यह उदाहरण दिया गया है कि परम योगी प्राकृतिक नियमों से प्रदत्त मृत्यु को भी जीत सकता है। भगवान् के दिव्य शरीर पर शक्तिशाली गदा से प्रहार करना असुर के लिए निष्प्रयोजन होता है, क्योंकि भगवान् के शौर्य से कोई पार नहीं पा सकता। सिद्ध योगी प्रकृति के नियमों से मुक्त होते हैं, अत: उन पर मृत्यु का भी वश नहीं चलता। ऊपर-ऊपर से ऐसा लगता है कि योगी पर मृत्यु का प्रहार हो रहा है, किन्तु भगवान् की सेवा करते रहने के लिए वह उन की कृपा से ऐसे अनेक प्रहारों पर विजय प्राप्त कर लेता है। चूँकि भगवान् अपने शौर्य के बल पर स्वच्छन्द रहते हैं, अत: भक्त भी उनके अनुग्रह से उनकी सेवा के लिए जीवित रहते हैं।
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