मेरी पुत्री प्रियव्रत तथा उत्तानपाद की बहन है। वह आयु, शील, गुण आदि में अपने अनुकूल पति की तलाश में है।
तात्पर्य
स्वायंभुव मनु की युवा पुत्री देवहूति का चरित्र उत्तम था और वह योग्य भी थी, अत: वह अपनी आयु, शील तथा गुण के अनुकूल पति की खोज में थी। मनु द्वारा अपनी पुत्री को प्रियव्रत तथा उत्तानपाद इन दो महान् राजाओं की बहन के रूप में परिचित कराने का उद्देश्य था मुनि को आश्वस्त करना कि कन्या उच्च कुल की है। वह उनकी पुत्री है और साथ ही क्षत्रियों की बहन है, वह निम्न वर्ग की नहीं है। अत: मनु ने कर्दम को उपयुक्त समझ कर उसे अपनी पुत्री को सौंप देना चाहा। यह स्पष्ट है कि यद्यपि देवहूति आयु तथा गुणों में वयस्क थी, किन्तु वह स्वत: पति का चुनाव करने के लिए वहाँ नहीं गई। उसने अपनी आयु, शील तथा गुण के अनुकूल उपयुक्त पति के लिए इच्छा व्यक्त की और पिता ने स्नेहवश उसके लिए ऐसा पति ढूँढने का भार अपने ऊपर ले लिया।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.