मैत्रेय ने कहा : जब कर्दम मुनि बन चले गये तो भगवान् कपिल अपनी माता देवहूति को प्रसन्न करने के लिए बिन्दु सरोवर के तट पर रहे आये।
तात्पर्य
वयस्क पुत्र का धर्म है कि अपने पिता की अनुपस्थिति में वह अपनी माता का भार अपने ऊपर ले और अपने सामर्थ्य भर उसकी सेवा करे, जिससे उसे पति-वियोग न खले। पति का भी यह कर्तव्य है कि ज्योंही पुत्र सयाना होकर अपनी पत्नी तथा गृहस्थी का भार सँभालने में समर्थ हो जाय कि वह गृहत्याग दे। गृहस्थ जीवन की यही वैदिक प्रणाली है। मनुष्य को मृत्युपर्यन्त गृहस्थी के कार्यों में निरन्तर व्यस्त नहीं रहे आना चाहिए। उसे घर छोड़ देना चाहिए। तब सयाने पुत्र को पारिवारिक मामलों तथा पत्नी का भार ग्रहण करना चाहिए।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.