ऋषियों ने कहा : यह पुरुष तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का पालन करनेवाले भगवान् विष्णु की शक्ति का अंश है और यह स्त्री भगवान् विष्णु से कभी अलग न होनेवाली एवं सम्पत्ति की देवी, लक्ष्मी का अंश है।
तात्पर्य
यहाँ पर भगवान् और लक्ष्मी जी के कभी भी अलग न रहने का महत्त्व स्पष्ट रूप से वर्णित है। भौतिक जगत में लोग सम्पत्ति की देवी को अत्यधिक चाहते हैं और सम्पत्ति के रूप में उसकी कृपा प्राप्त करना चाहते हैं। किन्तु उन्हें यह जान लेना चाहिए कि सम्पत्ति की देवी भगवान् विष्णु से पृथक् नहीं हो सकतीं। भौतिकतावादियों को समझ लेना होगा कि सम्पत्ति की देवी की पूजा भगवान् विष्णु के साथ-साथ की जानी चाहिए और उन्हें भिन्न नहीं समझा जाना चाहिए। सम्पत्ति की देवी की कृपा चाहनेवाले भौतिकवादियों को भौतिक ऐश्वर्य को बनाये रखने के लिए विष्णु तथा लक्ष्मी दोनों की साथ-साथ पूजा करनी चाहिए। यदि कोई भौतिकतावादी पुरुष रावण की नीति अपना कर सीता को भगवान् रामचन्द्र से विलग करना चाहता है, तो उसका सर्वनाश हो जाएगा। जो लोग सम्पत्ति की देवी की कृपा से इस संसार में धनवान बन गये हैं, उन्हें चाहिए कि वे भगवान् की सेवा में अपनी सम्पत्ति लगाएँ। इस प्रकार वे बिना किसी उपद्रव के अपनी ऐश्वर्यमयी स्थिति बनाये रख सकते हैं।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.