मेरे माता-पिता वृद्ध थे और उनकी देखरेख करने वाला कोई अन्य पुत्र या मित्र न था। चूँकि मैंने उनकी देखभाल नहीं की, अतएव उन्हें बहुत ही कष्ट में रहना पड़ा। हाय! एक निन्दनीय निम्न जाति के पुरुष की तरह मैंने उस स्थिति में अकृतज्ञतापूर्वक उन्हें छोड़ दिया।
तात्पर्य
वैदिक सभ्यता के अनुसार हर व्यक्ति पर ब्राह्मणों, वृद्धों, स्त्रियों, बालकों तथा गौवों की देखरेख करने का उत्तरदायित्त्व होता है। यह हर एक का, विशेषतया उच्च जाति के मनुष्य का, कर्तव्य है। अजामिल ने वेश्या की संगति के कारण अपने सारे कर्तव्यों का परित्याग कर दिया। इस पर पश्चात्ताप करते हुए अब वह अपने को पूरी तरह पतित मान रहा था।
शेयर करें
All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
Disclaimer: copyrights reserved to BBT India and BBT Intl.