हे राजा! जब महाराज बलि के समस्त असुर अनुयायियों ने भगवान् के विराट रूप को देखा, जिन्होंने अपने शरीर के भीतर सब कुछ समा लिया था, और जब उन्होंने भगवान् के हाथ में सुदर्शन नामक चक्र को देखा जो असह्य ताप उत्पन्न करता है और जब उन्होंने उनके धनुष की कोलाहलपूर्ण ध्वनि सुनी तो इन सब के कारण उनके हृदयों में विषाद उत्पन्न हो गया।
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All glories to Srila Prabhupada. All glories to वैष्णव भक्त-वृंद
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