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वैष्णव भजन  »  कि जानि कि बले
 
 
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर       
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कि जानि कि बले, तोमार धामेते,
होइनु शरणागत
तुमि दयामय, पतितपावन,
पतित – तारणे रत॥1॥
 
 
भरसा आमार, एइ मात्र नाथ!
तुमि त’ करुनामय
तव दया – पात्र, नाहि मोर सम,
अवश्य घुचाबे भय॥2॥
 
 
आमारे तारिते, काहारो शकति,
अवनी – भितरे नाहि
दयाल ठाकुर! घोषणा तोमार,
अधम पामरे त्राहि॥3॥
 
 
सकल छाडिया, आसियाछि आमि,
तोमार चरणे नाथ!
आमि नित्य – दास, तुमि पालयिता,
तुमि गोप्ता, जगन्नाथ!॥4॥
 
 
तोमार सकल, आमि मात्र दास,
आमार तारिबे तुमि
तोमार चरण, करिनु वरण,
आमार नाहि त’आमि॥5॥
 
 
भक्तिविनोद, कांदिया शरण,
लो’ येछे तोमार पाय
क्षमि’ अपराध, नामे रुचि दिया,
पालन करहे ताय॥6॥
 
 
(1) मुझे ज्ञात नहीं कि मुझे आपके धाम आने एवं आपके चरणकमलों का आश्रय स्वीकार करने की शक्ति किस प्रकार प्राप्त हुई? आप बद्ध पतितात्माओं पर अत्यधिक दयालु हैं तथा इसी कारणवश आप सदैव उनका उद्धार करने के लिए वचनबद्ध रहते हैं।
 
 
(2) हे नाथ! मेरी एकमात्र आशा आप ही हैं क्योंकि आप दया से भरे हुए हैं। मेरे समान आपकी दया का पात्र आपको अन्य कोई भी नहीं मिलेगा। अतएव, मुझे दृढ़ विश्वास है कि आप मेरे भौतिक जीवन के भय को अवश्य नष्ट करेंगे।
 
 
(3) इस संसार में मेरा उद्धार करने की शक्ति किसी के भी पास नहीं है। हे दयालु प्रभु! आपने घोषणा की हुई है कि इस संसार के पतित एवं पापी जीवात्माओं के एकमात्र आप ही उद्धारक हैं।
 
 
(4) हे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी! मैंने सब कुछ त्याग कर आपके चरणकमलों की शरण ग्रहण की है। मैं आपका नित्य दास एवं आप ही मेरे एकमात्र पालनकर्ता हैं।
 
 
(5) वास्तव में, सबकुछ आपका ही है, तथा मैं तो केवल दास ही हूँ। मेरा उद्धार करना आपका कर्तवय है। मैं अपनी स्वतन्त्रता त्याग कर आपके चरणकमलों का आश्रय ग्रहण करूँगा।
 
 
(6) श्रील भक्तिविनोद ठाकुर कहते हैं कि मैं विनम्रता से आपके चरणकमलों का आश्रय स्वीकार करता हूँ। कृपया मेरे अपराधों को क्षमा करें एवं अपने पवित्र नाम के जप का रसास्वादन करने की स्वीकृति प्रदान करें। इस प्रकार से, कृपया मेरा पालन करें।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
   
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