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सर्वस्व तोमार  |
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर |
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सर्वस्व तोमार, चरणे संपिया,
पड़ेछि तोमार घरे।
तुमि त’ ठाकुर तोमार कुकुर,
बलिया जानह मोरे॥1॥ |
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बांधिया निकटे, आमारे पालिबे,
रहिब तोमार द्वारे।
प्रतीप-जनेरे, आसिते ना दिब,
राखिब गड़ेर पारे॥2॥ |
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तव निज-जन, प्रसाद सेविया,
उच्छिष्ट राखिबे याहा।
आमार भोजन, परम-आनन्दे,
प्रतिदिन ह’बे ताहा॥3॥ |
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बसिया शुइया, तोमार चरण,
चिन्तिब सतत आमि।
नाचिते नाचिते, निकटे याइब,
यखन डाकिबे तुमि॥4॥ |
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निजेर पोषण, कभु ना भाविब,
रहिब भावेर भरे।
भकतिविनोद, तोमारे पालक,
बलिया वरण करे॥5॥ |
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शब्दार्थ |
(1) मैंने सबकुछ आपके चरणकमलों में अर्पित कर दिया है तथा इस प्रकार मैं आपके घर में आ गया हूँ। अब आप मेरे स्वामी हैं और मैं आपका कुत्ता हूँ। कृपया मेरे साथ इसी प्रकार वयवहार करें। |
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(2) कृपया मुझे बाँध दें एवं अपने द्वार के निकट रख लें। इस प्रकार से कृपया मेरा निर्वाह करें। मैं किसी भी द्वेषी को आपके घर के पास नहीं आने दूँगा, बल्कि उसे दूर तक खदेड़ दूँगा। |
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(3) आपके पार्षद आपका उच्छिष्ट पाकर जो कुछ प्रसाद छोड़ देंगे - वही मेरा प्रतिदिन का भोजन होगा तथा मैं अत्यन्त प्रसन्नतापूर्वक उसका आस्वादन करूँगा। |
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(4) चाहे मैं बैठा हूँ या सो रहा हूँ, मैं सदैव आपके चरणकमलों का ध्यान करूँगा। आप जब भी मुझे बुलाएँगे, मैं आपके पास नाचता हुआ आ जाऊँगा। |
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(5) मैं अपने निर्वाह की कभी भी चिन्ता नहीं करूँगा क्योंकि मैं सदैव आपके परमानन्ददायक प्रेम में निमग्न रहूँगा। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर आपको अपना एकमात्र पालनकर्ता स्वीकारते हैं। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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