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हरि बल हरि बल  |
श्रील भक्तिविनोद ठाकुर |
भाषा: हिन्दी | English | தமிழ் | ಕನ್ನಡ | മലയാളം | తెలుగు | ગુજરાતી | বাংলা | ଓଡ଼ିଆ | ਗੁਰਮੁਖੀ | |
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हरि बल हरि बल हरि बल भाई रे
हरिनाम आनियाछे गौरांग-निताई रे
(मोदेर दुःख देखे रे)॥1॥ |
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हरिनाम बिना जीवेर अन्य धन नाइ-रे
हरिनामे शुद्ध हल जगाइ-माधाइ रे
(बड़ पापी छिलरे)॥2॥ |
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मिछे मायाबद्ध हये जीवन काटाइ रे
(आमि आमार बले रे)
आश-वशे घुरे घुरे आर कोथा याइ रे
(आशार शेष नाइ रे)॥3॥ |
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हरि ब’ले देओ भाइ आशार मुखे चाइ रे
(निराशा त’सुख रे)
भोग-मोक्ष-वाच्छा छाड़ि हरिनाम गाइ रे
(शुद्ध-सत्व हय रे)॥4॥ |
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नाचेओ नामेर गुणे ओ-सब फल पाइ रे
(तुच्छ फले प्रयास छेड़े रे)
विनोद बले याइ लये नामेर बालाइ रे,
(नामेर बालाइ छेडे़ रे)॥5॥ |
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शब्दार्थ |
(1) हे भाइयों! हरि का नाम बोलो, हरि का नाम बोलो, हरि का नाम बोलो। भगवान् गौरांग तथा भगवान् नित्यानंद हमारी दुखभरी स्थिति देखकर हरि का पवित्र नाम लाए हैं। |
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(2) हरि के पवित्र नाम के अतिरिक्त, जीवों के लिए और कोई धन-संपत्ति नहीं है। भगवान् के पवित्र नाम का कीर्तन करने से जगाई एवं मधाई शुद्ध हो गए। वे बहुत बड़े पापी थे। |
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(3) मैं मोहमयी शक्ति, माया द्वारा मिथ्या रूप से बद्ध होकर, अपना जीवन वयतीत कर रहा हूँ। मैं हर वस्तु को ‘मैं’ और ‘मेरा’ से संबंधित ही देखता हूँ। अब मैं कहाँ जा सकता हूँ? भौतिक इच्छाओं का तो कोई अंत ही नहीं है। |
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(4) हरि के पवित्र नाम के उच्चारण द्वारा भौतिक आकांक्षाओं की अग्नि पर जल डालो। हे भाइयों! कामना रहित होना ही प्रसन्नता का कारण है। भौतिक आनन्द और मुक्ति की इच्छाओं को त्याग दो। शुद्ध सत्त्व के गुणों में स्थित रहकर, हरि के नाम का उच्चारण करो। |
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(5) ये उपेक्षणीय, महत्त्वहीन फल- भौतिक आकांक्षाओं एवं मुक्ति का परिपूर्ण होना- पवित्र नाम के सद्गुणों द्वारा सरलता से प्राप्त किए जा सकते हैं। उनके लिए अलग से परिश्रम-प्रयास करने की या पूछने की आवश्यकता नहीं है। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर कहते हैं कि भगवान् पवित्र नाम के जप के मार्ग में आयी सारी बाधाएँ या रुकावटों को दूर ले जाने के लिए तैयार हैं बशर्ते कि वयक्ति द्वारा भगवान् के पवित्र नाम का जप बिना किसी अपराध के किया जाए। |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ |
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