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वैष्णव भजन  »  सपरिकर-श्रीहरि-गुरु-वैष्णव-वंदनम्‌
 
 
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वन्देऽहं श्रीगुरोः श्रीयुतपद-कमलं श्रीगुरुन्‌ वैष्णवांश्च
श्रीरूपं साग्रजातं सहगण-रघुनाथान्वितं तं सजीवम्।
साद्वैतं सावधूतं परिजन सहितं कृष्ण-चैतन्य-देवम्‌
श्रीराधा-कृष्ण-पादान्‌ सहगण-ललिता-श्रीविशाखान्विता श्च॥
 
 
मैं अपने गुरु के चरणकमलों को तथा समस्त वैष्णवों के चरणों को नमस्कार करता हूँ। मैं श्रील रूप गोस्वामी तथा उनके अग्रज सनातन गोस्वामी एवं साथ ही रघुनाथदास, रघुनाथभट्ट, गोपालभट्ट एवं श्रील जीव गोस्वामी के चरणकमलों को सादर नमस्कार करता हूँ। मैं भगवान्‌ कृष्णचैतन्य तथा भगवान्‌ नित्यानंद के साथसाथ अद्वैत आचार्य, मंगलाचरण गदाधर, श्रीवास तथा अन्य पार्षदों को सादर प्रणाम करता हूँ। मैं श्रीमती राधारानी तथा श्रीकृष्ण को श्री ललिता तथा श्री विशाखा सखियों सहित नमस्कार करता हूँ।
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
   
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥