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वैष्णव भजन  »  दया कर मोरे निताइ
 
 
श्रील कानु रामदास ठाकुर       
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दया कर मोरे निताई दया कर मोरे।
अगतिर गति निताई साधुलोके बोले॥1॥
 
 
जय प्रेमभक्ति दाता पताका तोमार।
उत्तम अधम किछु ना कैल विचार॥2॥
 
 
प्रेमदाने जगजीवेर मन कैला सुखी।
तुमि जदि दयार ठाकुर आमि केने दुःखी॥3॥
 
 
कानुराम दासे बोले कि बलिब आमि।
ए बड भरसा मोर कुलेर ठाकुर तुमि॥4॥
 
 
(1) हे मेरे निताई, कृपया मुझ पर अपनी दया बरसाइये। समस्त साधुगण कहते हैं, ‘आप इतने दयालु है, आप पतित आत्माओं को उपयुक्त, ऐसा लक्ष्य प्रदान करते हैं। ’
 
 
(2) भगवान्‌ नित्यानंद के पास एक झंडा (पताका) है। वह झंडा प्रेम-भक्ति प्रदान करता है। वह कभी अंतर नहीं करता कि वयक्ति उत्तम है या अधम, अत्यन्त उन्नत है या अत्यधिक पतित। वह प्रत्येक को प्रेम-भक्ति प्रदान करता है।
 
 
(3) श्रीनित्यानंद प्रभु प्रत्येक वयक्ति को प्रेम प्रदान करते हैं और संपूर्ण विश्व को प्रसन्न कर देते हैं। आप कितने दयालु व उदार ठाकुर हैं, मैं क्यों अपसन्न हूँ?
 
 
(4) कानु रामदास कहते है “मैं और अधिक क्या कहूँ? हे भगवान्‌ नित्यानन्द, आप हमारी परंपरा के स्वामी हो इसलिए यह मेरे लिए एक महान आशा है, कि आप इतने दयालु व उदार भगवान्‌ हो। ”
 
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
   
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥