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    "‘जो एक बार भी शरण में आकर ‘मैं तुम्हारा हूँ’ ऐसा कहकर मुझसे रक्षा की प्रार्थना करता है, उसे मैं समस्त प्राणियों से अभय कर देता हूँ। यह मेरा सदा के लिये व्रत है।" - श्रीमद्रामायण ६.१८.३३
 
 
[कुल श्लोक संख्या 24000]
 
श्रीमद्वाल्मीकीय रामायण माहात्म्य
 
काण्ड 1:  बाल काण्ड
 
काण्ड 2:  अयोध्या काण्ड
 
काण्ड 3:  अरण्य काण्ड
 
काण्ड 4:  किष्किंधा काण्ड
 
काण्ड 5:  सुन्दर काण्ड
 
काण्ड 6:  युद्ध काण्ड
 
काण्ड 7:  उत्तर काण्ड
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
   
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥