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    "यह भागवत पुराण सूर्य के समान प्रकाशमान है और इसका उदय धर्म, ज्ञान इत्यादि के साथ भगवान् श्रीकृष्ण द्वारा निज धाम को प्रयाण करने के पश्चात् ही हुआ है।" - श्रीमद्भागवत १.३.४३
 
 
श्रीमद्भागवतम एवं श्रीमद्भगवद्गीता से
 
 
 
 
ऋक्ऋक्-अथर्व-यजु:-साम्नाम्ऋक्-यजु:-साम-अथर्वऋक्ष
ऋक्ष-गिरि:ऋक्ष-तारा:ऋक्ष-पतेऋक्ष-मालाम्
ऋक्ष-राजऋक्ष-राज: तुऋक्ष-राजम्ऋक्ष-राट्
ऋक्ष-रूपीऋक्ष-शल्यकै:ऋक्ष:ऋक्षम्
ऋक्षाणिऋक्षेऋक्षेणऋक्षै:
ऋग्-यजु:-साम-अथर्व-आख्याऋग्-वेद-धर:ऋच:ऋचीक-तनय:
ऋचीक:ऋच्छतिऋच्छतेऋच्छन्ति
ऋच्छसिऋच्छेत्ऋजीषऋजु
ऋजु-अङ्ग:ऋजु-काय:ऋजुभि:ऋजुम्
ऋज्वीम्ऋणम्ऋणीऋणै:
ऋतऋत-अमृताभ्याम्ऋत-धिय:ऋत-व्रत
ऋत-सत्य-नेत्रम्ऋत:ऋतधामाऋतध्वज:
ऋतम्ऋतम्भरऋतम्भराऋतव:
ऋतवान्ऋतसेन:ऋतस्यऋता:
ऋतात्ऋताम्ऋतुऋतु-गामिन:
ऋतु-गुणान्ऋतु-गुणै:ऋतु:ऋतु: वर्चा भरद्वाज
ऋतुमत्ऋतुषुऋतूऋतूनाम्
ऋतूपर्ण:ऋतेऋते नऋतेयु:
ऋतेयो:ऋतौऋत्विक्ऋत्विक्-जनम्
ऋत्विग्भि:ऋत्विग्भ्य:ऋत्विग्भ्य: चऋत्विज:
ऋत्विज: ऊचुऋत्विजम्ऋत्विजाम्ऋत्विजाम् मध्ये
ऋत्विजेऋद्धऋद्ध-कोशम्ऋद्धम्
ऋद्धिऋद्धि-मत्ऋद्धिभि:ऋद्धिमत्
ऋद्धिम्ऋद्धै:ऋधिकाम्ऋधिभि:
ऋभव:ऋभु:ऋभुभि:ऋषभ
ऋषभ- अद्रिम्ऋषभ-अपदेश:ऋषभ-आख्यस्यऋषभ-देव:
ऋषभ-पदवीम्ऋषभ:ऋषभ: उवाचऋषभदेव:
ऋषभम्ऋषभस्यऋषभा:ऋषभान्
ऋषभायऋषभेणऋषभौऋषय:
ऋषय: ऊचुऋषय: चऋषयेऋषि
ऋषि- कुमारवत्ऋषि- कुल्याया:ऋषि-ऋषभायऋषि-कुल्या
ऋषि-कुल्याम्ऋषि-कुल्यायाम्ऋषि-गणऋषि-गणा:
ऋषि-प्रवर:ऋषि-बालक:ऋषि-मुख्यानाम्ऋषि-मुख्येभ्य:
ऋषि-मूर्तिनाऋषि-रूप-धर:ऋषि-लोकम्ऋषि-वर्य
ऋषि-वर्य:ऋषि-वाक्यम्ऋषि-शप्त:ऋषि-सत्-तमम्
ऋषि-सर्गम्ऋषि:ऋषि: उवाचऋषिणा
ऋषित्वम्ऋषिनाऋषिभि:ऋषिभ्य:
ऋषिम्ऋषिषुऋषीऋषीणाम्
ऋषीन्ऋषीन् चऋषेऋषे:
ऋषे: नारायणस्यऋष्टय:ऋष्टिऋष्टिभि:
ऋष्तिऋष्य-मूक:ऋष्य-शृङ्ग:ऋष्यशृङ्ग:
 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥ हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
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  All glories to Srila Prabhupada. All glories to  वैष्णव भक्त-वृंद
 

 
>  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥